नई दिल्ली
संवाददाता : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी कि उसके आदेश का आंशिक अनुपालन स्वीकार्य नहीं है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के लिए पूरा भुगतान करना ही होगा। पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार से पूछा, पैसे निकलवाने के लिए हर बार आपकी बांह क्यों मरोड़नी पड़ती है। दरअसल, शीर्ष अदालत को बताया गया था कि दिल्ली सरकार ने धनराशि का एक हिस्सा ही दिया था।दिल्ली सरकार के रवैये पर जताई नाराजगी
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, आंशिक अनुपालन का सवाल ही नहीं हो सकता, पूर्ण अनुपालन होना चाहिए। जुलाई में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वचन दिया था कि वह आरआरटीएस परियोजना के लिए बजटीय प्रावधान करेगी। पीठ ने तब कहा था कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापन के लिए 1,100 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं, तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में योगदान भी दिया जा सकता है। आरआरटीएस परियोजना के लिए धन आवंटित करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहने पर पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई थी। अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
आपने धनराशि हस्तांतरित की है या नहीं?
धन हस्तांतरित नहीं किया गया याचिकाकर्ता के वकील एएनएस नाडकर्णी ने पीठ से कहा, पिछले आदेश में कहा गया था कि धन हस्तांतरित नहीं किया गया तो परियोजना के लिए सरकारी विज्ञापन निधि हस्तांतरित करने का आदेश लागू हो जाएगा। धन हस्तांतरित नहीं किया गया है। जस्टिस कौल ने दिल्ली सरकार की वकील मीनाक्षी अरोड़ा से कहा, आपने धनराशि हस्तांतरित की है या नहीं? इस पर अरोड़ा ने कहा, 415 करोड़ दिए गए हैं। तब नाडकर्णी ने कोर्ट को बताया कि धनराशि जारी करने की मंजूरी वाले आदेश में भी ‘आंशिक अनुपालन’ का उल्लेख किया गया था।