रामायण बहुत पवित्र ग्रंथ है जिसे पढ़ने से न सिर्फ जीवन में सकारात्मकता आती हैं बल्कि व्यक्ति को कामयाबी के नए मार्ग भी मिलते हैं। रामायण में जीवन की हर समस्याओं का हल है। वाल्मीकि की रामायण में भगवान राम को पुरुषोत्तम कहा गया है। साथ ही माता सीता की पवित्रता का भी उल्लेख किया गया है। इसमें मौजूद सभी पात्रों का अलग महत्व है। हालांकि, मंथरा का किरदार रामायण बदलने जैसा रहा है। हम सभी जानते हैं कि कैकयी ने राजा दशरथ से वचन मांगा था कि वह उनके बेटे भरत को राजगद्दी पर बिठाए और राम को 14 साल के लिए वनवास भेज दें। हालांकि, कुछ अन्य कथाओं के अनुसार मंथरा को इसकी मुख्य वजह माना जाता है। इसी कड़ी में आइए विस्तार से जानते है कि रामायण में मौजूद मंथरा कौन थी ? क्या सच में इनकी वजह से ही राम जी को वनवास काटना पड़ा। कौन थी मंथरा ?
कथा के अनुसार जब कैकेयी का विवाह राजा दशरथ से हुआ था तो दासी मंथरा उनके साथ मायके आई थीं। माना जाता है कि कैकेयी बहुत सुंदर और गुणी स्त्री थी और वह दशरथ की सबसे प्रिय रानी थीं। कैकेयी के पिता के भाई बृहदश्व की बेटी रेखा और कैकेयी बचपन से ही अच्छी दोस्त थीं। रेखा बहुत बुद्धिमान थीं लेकिन उसे बचपन में एक रोग हो गया था। इस रोग की वजह से उसका पूरा शरीर पसीने में भीग जाता था और वह प्यास से तड़प उठती थीं।
कहते हैं कि एक दिन जब रेखा को बहुत तेज प्यास लगी तो उन्होंने इलायची, मिश्री और चंदन से बना हुआ शरबत पी लिया। शरबत पीने के बाद उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। कई उपचार के बाद रेखा ठीक तो हो गईं लेकिन उनकी रीढ़ की हड्डी में दोष आ गई। उनकी रीढ़ की हड्डी हमेशा के लिए टेढ़ी हो गई। रेखा ही मंथरा थीं। रीढ़ की हड्डी में कमी आने के कारण उनका विवाह नहीं हो पाया था। इसलिए वह कैकेयी के विवाह के समय उनकी अंगरक्षक बनकर अयोध्या आ गईं।
राम के वनवास का कारण मंथरा को क्यों बनाया गया ?
कथाओं के अनुसार कैकेयी राजा दशरथ के साथ एक युद्ध में गई थी। इस युद्ध में कैकेयी ने राजा दशरथ की जान बचाई थी। जिसके चलते राजा दशरथ ने कैकयी को दो वरदान मांगने के लिए कहा था। जब कई सालों बाद श्री राम के राज्याभिषेक की बात चली तो मंथरा को बेचैनी हो गई। ये सभी बात मंथरा ने जाकर कैकेयी को बताई। यह सभी बात सुनकर कैकेयी खुशी से झूम उठी और आनंद में डूब गई। क्योंकि भगवान राम उस समय सभी के प्रिय थे।
माना जाता है कि इस दौरान मंथरा ने कैकेयी को राम के खिलाफ जमकर भड़काया। लेकिन फिर भी कैकेयी ने मंथरा की बात नहीं मानी। तभी मंथरा के बहकावे पर कैकेयी को उस दो वरदान की याद आ गई जो राजा दशरथ ने उनसे मांगने के लिए कहा था। इस बात पर विचार करती हुई कैकेयी भवन में जाकर बैठ गईं। उन्होंने राजा दशरथ को अपने दो वरदान की याद दिलाई। जब राजा दशरथ ने कैकेयी से वह वरदान मांगने के लिए कहा तो कैकेयी ने अपने वरदान के रूप में राम का वनवास और भरत के लिए राज्य मांगा। ये सभी बात सुनकर राजा दशरथ चौंक उठे। तभी से ऐसा माना जाता है कि कैकेयी ने मंथरा के कहने पर राजा दशरथ से भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था।