तराई में चढ़ रहे पारे के साथ ही मौत का सिलसिला भी तेजी से चल पड़ा है। गुरुवार रात से लेकर शुक्रवार सुबह तक जहां अलग-अलग कारणों से मासूम व महिला सहित पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं एक की हालत गंभीर होने के कारण उसे बहराइच रेफर किया गया है। परिवार के लोग जहां मौत का कारण गर्मी बता रहे हैं। वहीं, चिकित्सक मौत का कारण अलग-अलग बीमारी बता रहे हैं।भिनगा कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मछरीहवा निवासी कंधई लाल (79) पुत्र अवधराम की गुरुवार शाम अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। परिजन उसे एम्बुलेंस से संयुक्त जिला चिकित्सालय भिनगा लाए। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिवार के लोग मौत का कारण भीषण गर्मी बता रहे थे। जबकि चिकित्सक ने मौत का कारण हार्ट अटैक बताया।इसी तरह मल्हीपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बहोरवा निवासी नूर मोहम्मद (80) पुत्र मेंहदी को अचानक तेज बुखार की शिकायत हो गई। परिजन उसे एम्बुलेंस से संयुक्त जिला चिकित्सालय भिनगा लाए। जहां हालत में सुधार न होने पर चिकित्सकों ने उसे प्राथमिक उपचार के बाद मेडिकल कॉलेज बहराईच रेफर कर दिया। वहीं, सिरसिया थाना क्षेत्र के ग्राम लदोहवा निवासी रामसुमिरन (60) पुत्र द्वारका प्रसाद को अचानक सांस लेने में समस्या होने पर संयुक्त जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां इलाज से पूर्व उसकी मौत हो गई।
सिरसिया के ही जोगागांव निवासी सफीकुन (18) पुत्री हारून को शुक्रवार सुबह सांस में तकलीफ के बाद संयुक्त जिला चिकित्सालय भिनगा लाया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं मल्हीपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हीपुर खुर्द निवासी गुलाम रसूल (70) पुत्र अजमत अली को सांस में तकलीफ के बाद शुक्रवार को संयुक्त जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जहां उसने दम तोड़ दिया। इन सभी मौत के लिए परिजन जहां गर्मी को जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं, चिकित्सक मौत का कारण हार्ट अटैंक बता रहे हैं। गिलौला थाना क्षेत्र के लखना गांव निवासी शबाब (8 माह) पुत्र सरोज को रात में उलटी दस्त की शिकायत के बाद सीएचसी गिलौला लाया गया। जहां हालत में सुधार न होता देख चिकित्सकों ने उसे मेडिकल कालेज बहराइच रेफर किया था। जिसकी बहराइच ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। लगातार एक के बाद एक मौत से परिजनों में कोहराम मच गया है।
एसीएमओ डॉ. दिनेश सिंह का कहना है कि इस समय गर्मी अधिक पड़ रही है जिसका असर दिल पर पड़ रहा है। बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें। धूप का चश्मा व सिर ढकना कदापि न भूलें। सभी अस्पताल मे पर्याप्त दवाएं मौजूद हैं इसलिए छोलाछाप के चक्कर में पड़ कर समय न बर्बाद करें। मरीज को अस्पताल ले जाएं ताकि उसे बचाया जा सके।